I am a writer. i am a writing scripts, poems, shayari, joke ....etc
I am try to writing something different . From which you can learn something.
My FB Page Name - Shayaro Ki Dunia
Please Read and Follow Me
Thanks For visiting my Blogger
कोई दोस्त हैं, तो कोई भाई हैं, कोई मां है, तो कोई पिता, तो कोई भाई - बहन।। हर रिश्ता बड़े ही नाजों से पलता है दरकिनारे कर जाते हैं हम कई बार इन सब रिश्तों को, लेकिन अंत मे वहीं आकर मिल जाते हैं। हो जाती रिश्तों में अनबन कभी तो, दोनों ही मुरझा सा जाते हैं लाख गालियां देते हैं और झगड़ा भी करते है, मगर मिठास बरकरार रहती है रिश्तो में। अजीब है समाज के रिश्ते भी.. इन्ही रिश्तों में सबसे पवित्र रिश्ता भाई बहन का हैं। जो सात समन्दर पार भी अपना वजूद नहीं भूल पाता। हो अगर बहन तो पूरा घर गूंजता है शोर शराबों से, ना हो तो एक अजीब सी चुप्पी घर में छा जाती है। होते हैं झगड़े भी रोज कोई ना कोई बात पे कभी भाई नाराज़ तो कभी बहन हो जाती है खफा गायब हो जाता है सारा गुस्सा उस वक्त जब बहन या भाई बड़े प्यार से कहते है। तेरे लिए भी चाय बनाऊं क्या, दूसरे ही पल दोनों आपस मे बैठ कर चाय की चुस्कियां लेते नज़र आ जाते हैं यहीं होता है अक्सर इन दोनों के दरमियान.. जब हो जाती भाई की शादी घर में आती भाभी। बहन की हो जाती चांदी, लेकिन हो जाती बहन की शादी तो भाई की बढ़ जाती परेशा...
दलितों के मसीहा, सामाजिक समानता के लिए संघर्षशील, समाज सुधारक, एक स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एव न्याय मंत्री , एवं भारतीय संविधान के जनक , एवं गणराज्य के निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्यप्रदेश में इंदौर के पास महू छावनी में हुआ. इनके बचपन का नाम भीम सकपाल था. घर वाले प्यार से उन्हें भीवा भी कहते थे। उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमा बाई थे। अंबेडकर 13 बहन - भाई थे, वे सभी अम्बेडकर से बड़े थे। भीमराव अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। उन सभी में से 3 भाई और 2 बहन ही बचे थे। डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर के एक ही पुत्र यशवंत आंबेडकर हैं (उनके अन्य चार बच्चो की मृत्यू बचपन में ही हो गई थी)। आम्बेडकर ने दो शादियाँ की, उनकी पहली पत्नी तथा दुसरी पत्नी डॉ॰ सविता अंबेडकर थी। उनका परिवार कबीर पं...
चोटी में जो गंगा रखे, वह महाकाल हैं। विष का प्याला पीकर, कंठ में जो नाग हैं। डम डम डमरू बजे, वह महाकाल हैं। जिनके तांडव को देखकर, सारा जग भयभीत हैं। दास जिनका भूत भी हैं, उनका मैं भी दास हूँ। सारा जग जिससे चले, वह महाकाल हैं।
Comments